धर्मों की, जातियों की, मृत और अंधी परंपराओं की। हाँ इंसान आजाद है – भ्रष्टाचार फैलाने में, प्रदूषण फैलाने में, गन्दगी फैलाने में, पृथ्वी का हर तरह से शोषण करने में, जनसंख्या वृद्धि में, तथा स्त्रीजाति का शोषण करने में – उनका वस्तु भांति उपभोग करने में, उनका निरादर करने में, उनके साथ रेप जैसे कुकर्मों में, हर बुरे कर्म की आजादी है उसे पर वास्तविक आजादी, वास्तविक देशप्रेम उसकी समझ से परे है। छुआछूत के मूल मे अस्वच्छता ही रही होगी। अभी भी हमे अस्वच्छ व्यक्तियों (mentally ill people) से दूर ही रहने का प्रयत्न करना चाहिए !! स्वतंत्रता […]